बेरोजगार से प्यार कैसे हुआ ?


मै भी अपना ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उसी लाइन में लग गया जहां पर पहले से बहुत लोग अपनी डिग्रियां लेकर खड़े थे। यह मौका मेरे दोस्त के मदद से मिला था और वह भी मेरे साथ अपनी बारी का इंतजार कर रहा था इंटरव्यू देने के लिए। हमने यहां आने से पहले अपनी सारे जरूरी कागज जैसे रिज्यूम, मार्कशीट और सर्टिफिकेट की सारी फोटोकॉपी एक बैग रख लिए थे ताकि जरूरत पड़ने पर उसे दिखा कर हम अपनी योग्यता साबित कर सके। लेकिन जब तक मेरी बारी आती तब तक हमे घर जाने के लिए कहा गया जो कि उस वक्त कुल वहां पर पचास से साठ लोग रहे होंगे। “आज फिर से कोई नौकरी हाथ नहीं लगी” – मै दुखी मन से बहुत ही धीमी आवाज में कहकर रेलवे स्टेशन की तरफ धीरे–धीरे बढ़ने लगा और सोचता रहा कि कब तक नौकरी लगेगी मै कब तक बेरोजगार रहूंगा। मेरे मन में सवालों के बौछारें थी और मेरे पैर मुझे भीड़ से निकालकर रेलवे स्टेशन की तरफ ले जा रहे थे। मै जैसे ही लड़खड़ाकर गिरा मुझे किसी ने आवाज दिया “मै कबसे तुम्हे आवाज दे रही हूँ बेरोजगार”, लेकिन तुम हो कि अपने मस्ती में मस्त हो। एक दूसरी जगह इंटरव्यू है मेरे साथ चलोगे, मैं भी एक रोजगार की तलाश में हूं। अपनी जेब से एक पर्ची निकालकर दिखाई और बोली इसी जगह पहुंच जाना समय से, देर से मत आना नही तो इंटरव्यू देने का मौका भी गवां दोगे आज की तरह। यह कहकर उसने पास के बस स्टैंड पर खड़ी हो गई। दूसरे दिन की सुबह जब मै दिए हुए एड्रेस पर पहुंचा तो मेरी नजर सबसे पहले उसको ही ढूंढ रही थी। एक दो बार पैनी नजर घुमाया फिर भी नजर नहीं आई और दूसरी तरफ मै इंटरव्यू देने के फॉर्म को भरने के लिए रिसेप्शन डेस्क को ढूंढ रहा था। दो –तीन घंटे बीत जाने के बाद मुझे इंटरव्यू का मौका मिला जिसको पास करके मैने नौकरी हासिल कर लिया। लेकिन इंटरव्यू का पता जिसने मुझे बताया था वो अभी तक मुझे दिखाई नहीं दी, जिससे मैं सुबह से मिलने के लिए इच्छुक था। आखिर में लौटते समय उसका नाम रजिस्ट्रेशन रजिस्टर में जैसे ही ढूंढने के लिए बढ़ा तो मुझे ख्याल आया कि मुझे तो उसका नाम पता ही नहीं है । मै उस दिन मन में विचार करते हुए अपने घर को लौट आया और अगली सुबह मै अपनी नौकरी ज्वाइन करने के लिए ऑफिस पहुंच गया। ऑफिस की सारी फॉर्मेलिटी पूरा करने के बाद जब मै ट्रेनिंग रूम में पहुंचा तो सबसे आखिर के पंक्ति में आखिरी सीट मिली मुझे। मै अपनी ट्रेनिंग के एक प्रहर पूरा होने के बाद जैसे ही ब्रेक टाइम हुआ तो मुझे एक आवाज सुनाई दी ” रोजगार मिल गया क्या बेरोजगार को ” – यह आवाज सुनकर मेरी मेरी खुशी दोगुनी हो गई और मैने एकदम से पलट कर देखा तो वही लड़की थी जिसे मैं ढूंढ रहा था। मै उसकी बात का जवाब ना देकर उसे एकटक देखता रहा, थोड़ी ही देर में वह पास आ गई और हम ट्रेनिंग रूम में ही बैठकर बाते ऐसे करने लगे जैसे हम सदियों से एक दूसरे को जानते हो।


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